तस्वीरों के साथ इश्क का वहम पाल रखा है,
वो तेरा चाय का जूठा कप आज भी सम्भाल रखा है।
शुभ प्रभात!
चाय के नशे का आलम तो कुछ यह है गालिब,
कोई राई भी दे तो अदरक वाली बोल देते है।
शुभ प्रभात!
उन्होने पूछा चाय में चीनी कितनी लेंगे,
हमने कहा बस एक घूंट पी के दीजिए।
शुभ प्रभात!
मिलना तो वह अब भी मुझसे चाहते हैं लेकिन,
क्या करूं मैं वो अब चाय नहीं पिलाते हैं।
शुभ प्रभात!
चाय तो सिर्फ दवा है साहेब,
दर्द तो कुछ और ही है।
शुभ प्रभात!
हर सफ़र में हमसफ़र नहीं होते,
कुछ सफ़र में चाय भी साथ होती है।
शुभ प्रभात!
Top of the Day
बिछड़ गए हैं जो उनका साथ क्या मांगू,
ज़रा सी उम्र बाकी है इस गम से निजात क्या,
मांगू,वो साथ होते तो होती ज़रूरतें भी हमें,
अपने अकेले के लिए कायनात क्या मांगू।
गिरकर उठना, जिसके अंदर यह ताकत है
उस इंसान के अंदर हर चीज की काबिलियत है।
निकले हम दुनिया की भीड़ में
तो पता चला की,
हर वह शख्स अकेला है
जिसने मोहब्बत की है।
बेवफा वक़्त था, तुम थे,
या मुकद्दर था मेरा,
बात इतनी ही है कि अंजाम जुदाई निकला।
चाय की चुस्की के साथ
अक्सर कुछ गम भी पीता हूं,
मिठास कम है जिंदगी में
मगर जिंदादिली से जीता।